रविवार, 23 फ़रवरी 2025

"जीवन में सबसे बड़ा खतरा यह है कि आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी प्रयास न करें।" - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

"जीवन में सबसे बड़ा खतरा यह है कि आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी प्रयास न करें।" 

~ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ~


"जीवन में सबसे बड़ा खतरा यह है कि आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी प्रयास न करें।" - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'


शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

"जीवन में सफलता पाने के लिए, आपको अपने सपनों पर विश्वास करना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।" - भवानी प्रसाद मिश्र

"जीवन में सफलता पाने के लिए, आपको अपने सपनों पर विश्वास करना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।"

 ~ भवानीप्रसाद मिश्र ~




शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

"जीवन की सबसे बड़ी खुशी यह है कि आप अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकते हैं।" - रामधारी सिंह दिनकर

 "जीवन की सबसे बड़ी खुशी यह है कि आप अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकते हैं।" 


~ रामधारी सिंह दिनकर ~




गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले - भवानी प्रसाद मिश्र

~ लेखक परिचय ~

लेखक :- भवानी प्रसाद मिश्र


भवानीप्रसाद मिश्र एक महान कवि और लेखक थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनका जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। वे गांधीवादी विचारक थे और उनकी कविताओं में गांधी दर्शन का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है । उनकी कविताओं में सहजता, लयकारी, और गेयता का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। उन्हें 'कवियों का कवि' और 'कविता का गांधी' भी कहा जाता है । उनकी प्रमुख कृतियों में 'गीत फरोश', 'चकित है दुख', 'बुनी हुई रस्सी', और 'त्रिकाल सन्ध्या' शामिल हैं । उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया गया है ।

 👉यहाँ इनकी और रचनाये है।👈



कविता

 बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले,

उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले

उनके ढंग से उड़े,, रुकें, खायें और गायें

वे जिसको त्यौहार कहें सब उसे मनाएं


कभी कभी जादू हो जाता दुनिया में

दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुनिया में

ये औगुनिए चार बड़े सरताज हो गये

इनके नौकर चील, गरुड़ और बाज हो गये.


हंस मोर चातक गौरैये किस गिनती में

हाथ बांध कर खड़े हो गये सब विनती में

हुक्म हुआ, चातक पंछी रट नहीं लगायें

पिऊ-पिऊ को छोड़े कौए-कौए गायें


बीस तरह के काम दे दिए गौरैयों को

खाना-पीना मौज उड़ाना छुट्भैयों को

कौओं की ऐसी बन आयी पांचों घी में

बड़े-बड़े मनसूबे आए उनके जी में


उड़ने तक तक के नियम बदल कर ऐसे ढाले

उड़ने वाले सिर्फ़ रह गए बैठे ठाले

आगे क्या कुछ हुआ सुनाना बहुत कठिन है

यह दिन कवि का नहीं, चार कौओं का दिन है


उत्सुकता जग जाए तो मेरे घर आ जाना

लंबा किस्सा थोड़े में किस तरह सुनाना ?

"अगर आप तेज चल नहीं सकते, तो दौड़िए....~ रतन टाटा

"अगर आप तेज चल नहीं सकते, तो दौड़िए।

 अगर आप दौड़ नहीं सकते, तो चलिए। 

अगर आप चल नहीं सकते, तो रेंगिए।

 लेकिन जो भी करें, आगे की ओर बढ़ते रहें।" 

~रतन टाटा




बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

किसी भी काम को शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए – चाणक्य

 "किसी भी काम को शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए – मैं ये क्यों कर रहा हूँ? इसका परिणाम क्या होगा और क्या मैं सफल होऊंगा?"

~ चाणक्य ~